Monday, September 13, 2021

मार्क्सवाद (Marxism)

 

"मार्क्सवाद को साम्यवाद या लेलिनवाद या बोलशेविक दर्शन भी कहते हैं।"

मार्क्सवादमें महत्वपूर्ण बिन्दुओंका उल्लेख

  • राजा का होना।
  • नेतृत्व का होना परंतु काम करनेवाला हो।
  •  वर्गहिन समाजका निर्माण : स्वतंत्र व्यक्ति और दस , अमीरआदमी और गरीब या सामान्य जन , भूस्वामी और भूदास , श्रेनिपती और दस्तकार , पूंजीपति और निर्धन या हम कह सकते हैं कि उत्पीड़क और उत्पीड़ित या शाशक और शोषितको दूरकरना।
  •  सबका बराबर होना या कामगार होना।
  • क्रिया पर बल देना अर्थात श्रमशीलता पर बल देना
  • मालिकाना लाभ  पर श्रमिकोंकाभी हक होना।
  • शिक्षा के साथ व्यवसायको बढ़ाना।
  • पितृसत्ताका विरोध।
  •  महिला शिक्षा का विकास।
  •  सतत् और सम्पूर्ण मूल्यांकन।
  •  सैन्य शिक्षाका समर्थक।
साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी।

परिचय :-

कार्लमार्क्स की साम्यवादी विचारधारा ही मार्क्सवादी विचारधारा कहलायी।ये एक वैज्ञानिक समाजवादी विचारक थे।ये यथार्थ पर आधारित समाजवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं।सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद (Marxism) उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है।मूलतः मार्क्सवाद उन आर्थिक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतो का समुच्चय है जिन्हें 19-20 वी सदी में बहुत तेजीके साथ फैला।

मार्क्सवाद के समर्थक

      कार्ल मार्क्स , फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन 


·    कार्ल मार्क्स का जीवनी :-

कार्ल मार्क्स (1818 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, पत्रकार और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता थे।

  • जन्म - कार्ल मार्क्स का जन्म ट्रियर नगर , जर्मनी के एक यहूदी परिवारमें 5 मई 1818 को हुआ था और 17 मार्च 1883 दुनिया को छोड़ चले।
  • पिता वकील पेशासे थे।
  • कार्ल मार्क्स यहूदी से ईसाई धर्म ग्रहण करलिया था।
  • शिक्षा - ट्रियर नगर में जिम्नेजियम में 1830 से 1835 तक शिक्षा प्राप्त किया था।
  • 17 वर्ष के आयु में एक निबंध लिखा"पेशा चुनने केसंबंधमें एक तरुण विचार " जिससे मानवता की त्यागपूर्ण सेवाका भाव मिलता है।
  • बोन और बर्लिन में कानूनकी पढ़ाई के लिए तैयार हुए और 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय जर्मनी में प्रवेश लिया।
  • तत्पश्चात्‌ उन्होंने बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया।
  • इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए।एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन का खंडनकिया।
  • मार्क्स ने 1839-41 में जेना विश्वविद्यालय में एक व्याख्यात्मक निबंध लिखा जिसका शीर्षक "Democritus and Epicurus- दिमॉक्रितस और एपीक्यूरसइसी शीर्षक पर अप्रैल , 1841 में दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्रदान किया गया था।

रचनाएं -

  •         होली फैमिली ( Holy Family)
  •          जर्मन विचारधारा( The German Ideology)
  •         दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस
  •          दर्शनशास्त्र का दरिद्रता ( The poverty of Philosophy)-1847
  •          ' कम्युनिस्ट मनिफेस्तो' (1848)
  •         दास कैपिटल ( Das Capital)- 1867

मार्क्सवादका दर्शन

1. तत्वामीमनसा :- मार्क्सवाद ने भौतिकवादी के समर्थक थे , विज्ञान विधियों पर पूर्ण विश्वास करतेथे। यह मनुष्य को परिवर्तन में मदद करेगा।

संसारअध्यात्मिक होकर भौतिक है। ईश्वर की अस्तित्व को नहीं मानता।

जीवनका सुख , शारीरिक , श्रमउत्पादनकर  प्राप्त कर सकते है।

2. ज्ञान मीमांसा :- ज्ञान के साधन में द्वंद के समर्थक माने जाते है वाद और प्रतिवाद में संश्लेषणको बेहतर मानते है।

वाद ----------------- प्रतिवाद   1

संश्लेषण

सत्य ज्ञान कीखोज निरंतर करना चाहिए।

3. मूल्यामीमंसा :-कार्ल मार्क्स ने समाजका आधार व्यक्ति और इसके आपसी क्रियाकलाप से माना है।अतः स्वम व्यक्तित्व सामाजिक की उत्पत्ति है।

·      नैतिकता, रुचि आचरण समाज का निर्धारण है।

·      मूल्यका आधार बेहतर आर्थिक स्थिति को मानते है।

4. तर्कमीमांसा :- ज्ञान के साधन में यथार्थवादी रूप हो , रचनातमकता , आगमन , करकेसीखना पे बल देता है। प्रोजेक्ट विधि को बेहतर मानते हैं। बाद विवाद से ही विश्लेषण कर समाजको गतिशील बना सकते है।

मार्क्सवाद का सिद्धांत:-

1. द्वंदात्मक भौतिकवाद ( Dialiectical Materialism)

वाद / पक्ष में ==============प्रतिवाद/ विवाद /विपक्ष

संवाद(विश्लेषण)

*** यह प्रक्रिया किसीभी तथ्य या विषय बिंदु या भौतिक वस्तु पर चलती रहती है इसलिए संवाद की जरूरत है।

2.2.  इतिहास की भौतिकवाद ( Historical Materialism)

·      A. आदिमानव समाज

शिकारी========= आदिम

जीने का आभाव

·      B. दाससमाज

शोषक (स्वामी) ========== शोषित ( सेवक)

·      C.सामंती समाज

जमींदार ( शोषक ) =========== कृषक ( शोषित)

·      D. पूंजीवादीसमाज

                              पूंजीपति ( शाषक) =========== श्रमिक ( शोषित)

शिक्षा कीकमी

मशीनरीका विकास

लागत कम उत्पादन ज्यादा

                                                   आपसी मतभेद



·      E. समाजवादी साम्यवाद

ईश्वर को नकारा

धर्म एक अभिम की तरह

उत्पादन पर नियंत्रण

राज्य पर नियंत्रण

3. वर्ग-संघर्श का सिद्धांत( Class Struggle Theory)

शोषक (स्वामी) ========== शोषित सेवक)

प्रभूत शाली वर्ग ========== आर्थिकविहिन वर्ग

जिससे सर्वहारा समाजका निर्माण हुआ जिसमें सबको समान हक देने की बात हुई तथा लोकतांत्रिक विकास पर बल दिया।

4. अतिरिक्त मूल्यका सिद्धांत( Surplus Values Theory)

(मजदूर का प्रस्तुत मूल्य - मजदूर का दिया गया मूल्य)= अतिरिक्त मूल्य.

(कुल खर्च के साथ उत्पादन लाभ - बनाने में कुललागत) = अतिरिक्त मूल्य

सिद्धांत = अतिरिक्त मूल्य / कुल मजदूर

परंतु अतिरिक्त मूल्य को मजदूरों में नहीं तकसीम नहीं किया जाता था। इसलिए मार्क्सवाद सर्वहारा को इसके मूल्यको बताया जिससेसर्वहारासमाज मार्क्सवाद का समर्थक बने।


मार्क्सवाद और शिक्षा

(Marxism and Education)

शिक्षा ( Education):-शिक्षा का दृष्टिकोण सामाजिक होना चाहिए , शिक्षा से व्यक्तिको आसानी से रोटीकपड़ा मकान प्राप्त हो , शिक्षाअध्यातमिक होकरभौतिकवादी होनी चाहिए।

·      शिक्षा एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया हो जिससे सर्वहारा समाजका निर्माण हो।

·      शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे सम्पूर्ण देश में शिक्षा एक समान हो या सार्वभौमिक ज्ञान देना ही शिक्षा है।

कार्ल मार्क्स केअनुसारशिक्षा के प्रकार:-

1. बौद्घिकशिक्षा : वैसी शिक्षा जिसमें पढ़ना लिखना ,गणित ,,इतिहास का अध्ययन हो।
2.शारीरिक प्रशिक्षण या व्यायाम
3.पोल्टेकनिक प्रशिक्षण : उत्पादन से संबंधित वैज्ञानिक प्रशिक्षण देना। उद्योग से संबंधित औजार , कार्यका प्रशिक्षण । जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत हो।

शिक्षा को तीन स्तर पर वर्गीकरण :-

·      प्रथम स्तर :- 9 -12 वर्ष के बालकोंको शिक्षा के साथ 2 घंटेका घरेलूकार्य या दुकानकार्यकरे।

·      द्वितीय स्तर :- 13-14 वर्ष के बालकों को 4 घंटेकाघरेलू कार्य या दुकान कार्य।

·     तृतीय स्तर :- 15-17 वर्ष के बालकों को शिक्षा के साथ 6 घंटेकाघरेलू कार्य या दुकान कार्य या अन्य कार्यों मै साथ देना।

*** प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा का विरोध।

*** औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक पर राज्यका पूरा नियंत्रण करना।

शिक्षाका उद्देश्य

·      श्रम करना ,तेजस्वी और वीर बनाना।
·      छात्रों में साम्यवाद समाज का विकासकरना।
·      अध्यात्मिक होकरभौतिकवादी समाजकानिर्माणकरना।
·      साम्यवादीशिक्षाका विकासकरना।
·      सर्वहारा समाज का निर्माण करना।
·      चरित्रनिर्माण करना
·      सामुहिक भावनाकाविकास करना
·      मानसिक और शारीरिक विकासकरना।


शिक्षाका पाठयक्रम

  •       साम्यवादी पाठयक्रम का निर्माण जिससे श्रम गरिमा तथा और द्वंदात्मक भौतिकवादकानिर्माण हो।
  •       व्यावसायिक कुशलता का विकास।
  •       धर्म एक अफीम है, बहिष्कार हो।

शिक्षण विधियां

  •       द्वंद विधी ( Diaelecticmethod)
  •       सहकारिता विधी ( Cooperation method)
  •      संश्लेषण विधि ( Synthesis method)
  •      क्रिया केंद्रित विधि      प्रोजेक्ट विधि या प्रयोजन विधि




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