Tuesday, September 14, 2021

शिक्षा की संकल्पना (Concept of education)


 शिक्षा की संकल्पना  (Concept of education)

शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जो बालक के जन्म लेने से लेकर उसकी मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है। शिक्षा मनुष्य के विकास की पूर्णता की अभिव्यक्ति है। शिक्षा स्वयं को पहचानने व अपनी शक्तियों को पहचानने की क्षमता का विकास करते हैं।

  • प्लेटो का कथन है कि अज्ञान समस्त विपत्तियों का मूल कारण है अज्ञानी रहने की अपेक्षा जन्म न लेना ही अच्छा है।
  • महर्षि वेदव्यास का कथन है कि ज्ञान जीवन के सत्य का दिग्दर्शन ही नहीं करता बल्कि वह व्यक्ति को बोलना ,चलना, व्यवहार करना भी सिखाता है

शिक्षा का अर्थ 

प्राचीन समय में शिक्षा को विद्या कहा जाता था। विद्या शब्द की उत्पत्ति विदधातु में   प्रत्यय लगाने से हुई है।जिसका अर्थ है जानना । प्राचीन समय में ज्ञान को मानव जीवन के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में आ प्रत्यय लगाने से हुई है जिसका तात्पर्य सीखना और सिखाना।

शिक्षा को आंग्ल भाषा में एजुकेशन   (Education)  कहते हैं। शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार एजुकेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा की निम्नलिखित शब्द से हुई है।

a) ‘Educare’ which means ‘to bring out’ or ‘to nourish’.

शिक्षित करना ,बाहर निकालना,आगेबढ़ाना

b) ‘Educere’ which means ‘to lead out’ or ‘to draw out’.

विकसितकरनायाबाहरनिकालना

c) ‘Educatum’ which means ‘act of teaching’ or ‘training’?

शिक्षितकरना, बाहरनिकालना

d) ‘Educatus’ which means ‘to bring up, rear, educate’.

शिक्षितकरना,पालनपोषणकरना

e) ‘Ēducātiō’ which means “a breeding, a bringing up, a rearing.”

पालन पोषण करना ,बढ़ाना, आगे बढ़ाने के लिए मदद करना

नोट:- Education  को लैटिन भाषा में EDUCATUM से ही लिया गया है जिसमें दो शब्द  (E + Duco).

शिक्षा का संकुचित अर्थ

शिक्षा के संकुचित अर्थ से अभिप्राय उस शिक्षा से है जो एक निश्चित स्थान अथवा विद्यालय कॉलेज में निश्चित समय तक एवं निश्चित योजना के तहत दी जाती है ।

शिक्षा का व्यापक अर्थ

शिक्षा के व्यापक अर्थ के अनुसार शिक्षा जीवन चलने वाली प्रक्रिया है।यह प्रक्रिया उसी समय प्रारंभ हो जाती है जब बालक का जन्म होता है। अर्थात व्यापक दृष्टि से शिक्षा का अर्थ बालक के उन सभी अनुभवों से है जिसका प्रभाव उसके ऊपर जन्म से लेकर मृत्यु तक पड़ता है अर्थात या अनियंत्रित वातावरण है।

   वैदिक कालीन शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया थी , जिसके लिए व्यापक दृष्टिकोण से अवधि की सीमा निश्चित          नहीं थी। वैदिक काल में शिक्षा आयु के साथ-साथ समानांतर चलती थी। वैदिक कालीन शिक्षा में कक्षा , वर्ग का महत्व         नहीं था।  वैदिक कालीन शिक्षा जीवन , राजनीतिक , सामाजिक , संगीत आदि पर आधारित थी। आधुनिक शिक्षा कक्षा ,       वर्ग अथवा आयु के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। जिसके कारण शिक्षा के स्तर में कमी आई है।

  • वैदिक कालीन शिक्षा जीवन पर्यंत चलती रहती थी।
  • मनुष्य जीवन पर्यंत विद्यार्थी का जीवन जीता था।
 डॉ ए एस अलतेकर के अनुसार :- वैदिक युग से लेकर आज तक भारत में शिक्षा का मूल तात्पर्य यह रहा है कि शिक्षा प्रकाश का वह स्रोत है जो जीवन के        विभिन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शक करती है। 


शिक्षा की परिभाषा

शिक्षा की परिभाषा को समझाने के लिए महान मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियो व दार्शनिको के द्वारा शिक्षा के सम्बन्ध में अपने विचार और परिभाषाये बतलाई है. जो शिक्षा के अर्थ को समझने में हमारी सहायता करेगी. तो आइये कुछ शिक्षा सम्बन्धी प्रमुख विचारको की परिभाषाए बतलाई जा रही हैं :- 

  • महात्मा गांधी के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :- 

“शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक, मनुष्य और मानव के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है.”

  • जॉन ड्यूवी के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा व्यक्ति की उन सभी भीतरी शक्तियों का विकास है, जिससे वह अपने वातावरण पर नियंत्रण रखकर अपने उत्तरदायित्त्वों का निर्वाह कर सके.”

  • स्वामी विवेकानन्द के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है.” 

  • Sarvepalli Radhakrishnan के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा व्यक्ति को और सामाजिक के सर्वतोन्मुखी विकास की सशक्त प्रक्रिया है.”

  • ब्राउन की शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा चैतन्य रूप में एक नियंत्रित प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति केव्यवहार में परिवर्तन किये जाते हैं और व्यक्ति के द्वारा समूह में.”

  • डॉक्टर थॉमस के अनुसार शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा भारत में विदेशी नहीं है , ऐसा कोई भी देश नहीं है जहां ज्ञान के प्रति प्रेम इतने प्राचीन समय में प्रारंभ हुआ हो या जिसने इतना स्थाई और सशक्त प्रभाव को उत्पन्न किया हो। वैदिक युग के साधारण कवियों से लेकर आधुनिक युग के बंगाली दार्शनिक तक शिक्षकों एवं विद्वानों की एक अविरल परंपरा रही है.”

  • सुकरात के अनुसार शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा का अर्थ है प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क में अदृश्य रूप में विद्यमान संसार के सर्वमान्य विचारों को प्रकाण में लाना.”

  • हर्बट स्पैन्सर के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा का अर्थ अन्तःशक्तियों का बाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है.”

  • जिद्दू कृष्णमूर्ति के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है.”

  • Thomas Edison के अनुसार शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा मानव मस्तिष्क को प्रभावित करती है तब वह उसके प्रत्येक गुण को पूर्णता को लाकर व्यक्त करती है.”

  • पेस्तालॉजी के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा मानव की सम्पूर्ण शक्तियों का प्राकृतिक, प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण विकास है.”

  • राष्ट्रीय शिक्षा आयोग, 1964-66 के द्वारा शिक्षा की परिभाषा :-

“शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है, शिक्षा राष्ट्रीय सम्पन्नता एवं राष्ट्र कल्याण की कुंजी है.”

  • फ्राबेल की परिभाषा :-

“शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक की जन्मजात शक्तियॉबाहर प्रकट होती है.”

  • हार्न की परिभाषा :-

“शिक्षा शारीरिक और मानसिक रूप से विज्ञान विकसित सचते मानवका अपने मानसिक संवेगात्मक और संकल्पित वातावरण से उत्तम सामंजस्यस्थापित करना है.”

शिक्षा की प्रकृति ( Nature of Education )

जैसा शिक्षा का अर्थ होता है, वैसा ही उसका स्वरूप भी होता है। यह बहुत जटिल है। आइए अब हम शिक्षा की प्रकृति पर चर्चा करें (As is the meaning of education, so is its nature. It is very complex. Let us now discuss the nature of education )

1. शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है (Education is a life-long process)
2. शिक्षा एक व्यवस्थित प्रक्रिया है (Education is a systematic process )
3. शिक्षा व्यक्ति और समाज का विकास है ( Education is development of individual and the society)
4. शिक्षा व्यवहार का संशोधन है- शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से मानव व्यवहार को संशोधित और सुधारा जाता है। (Education is modification of behaviour- Human behaviour is modified and improved through educational process.)
5. शिक्षा उद्देश्यपूर्ण है( Education is purposive )
6. शिक्षा एक प्रशिक्षण है ( Education is a training)
7. शिक्षा ही निर्देश और दिशा है( Education is instruction and direction)
8. शिक्षा ही जीवन है( Education is life )
9. शिक्षा हमारे अनुभवों का निरंतर पुनर्निर्माण है(Education is continuous reconstruction of our experiences )
10. शिक्षा व्यक्तिगत समायोजन में मदद करती है( Education helps in individual adjustment )
11. शिक्षा संतुलित विकास है ( Education is balanced development )
12. शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है( Education is a dynamic process )
13. शिक्षा एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया है: एडम्स के अनुसार, शिक्षा एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया है ( Education is a bipolar process: According to Adams, education is a bipolar process)

14. शिक्षा एक त्रि-आयामी प्रक्रिया है: जॉन डेवी ने ठीक ही टिप्पणी की है, इस तरह शिक्षा की प्रक्रिया में 3 ध्रुव होते हैं - शिक्षक, बच्चा और समाज। ( Education is a three dimensional process: John Dewey has rightly remarked, In this way the process of education consists of 3 poles – the teacher, the child and the society )
15. विकास के रूप में शिक्षा: शिक्षा का उद्देश्य उसके विकास की प्रक्रिया को सुगम बनाना है। ( Education as growth: The purpose of education is to facilitate the process of his/her growth. )

शिक्षा के प्रकार ( Types of Education )

1. Individual Education ( व्यक्तिगत शिक्षा)

2. Group Education or collective Education ( सामुहिकशिक्षा )

3. Direct Education ( प्रत्यक्ष शिक्षाOr Face to face education( आमने सामने की शिक्षा )

4. Indirect Education ( अप्रत्यक्ष शिक्षा)- if it is based on computer or network the then it is also called Online Education(ऑनलाइन शिक्षा ).

5. Hidden Education ( गुप्त शिक्षा ) - एक छिपा हुआ शिक्षा में "पाठ जो सीखे जाते हैं लेकिन खुले तौर पर नहीं किए जाते हैं" जैसे कि कक्षा और सामाजिक परिवेश में व्यक्त मानदंडों, मूल्यों और विश्वासों का संचरण।कक्षा का परिवेश में समायोजन कर लेना , छात्र अपने कृत्रिम बुद्धि का उपयोग करना जो हम खुद अर्जित करते हैं।

6. Child Base Education ( छात्र केंद्रित शिक्षा  )

7. Teacher base Education ( शिक्षक केंद्रित शिक्षा )

8. Formal Education ( औपचारिक शिक्षा)

9. Informal Education ( अनौपचारिक शिक्षा)

10. Non- formal Education ( निरौपचारिक शिक्षा )

11. General Education ( सामान्य शिक्षा)

12. Specific Education ( विशिष्टशिक्षा)

13. Inclusive Education ( समावेशी शिक्षा )

14. Blended Education (ब्लेंडेडशिक्षा / मिश्रित शिक्षा )

15. Hybrid Education ( हाइब्रिड शिक्षा )

शिक्षा का उद्देश्य

(A) विशिष्ट उद्देश्य

विशिष्ट उद्देश्यों कोअसामान्य उद्देश्यों की संज्ञा दी जाती है।इन उदेश्यों का क्षेत्र तथा प्रकृति सीमित होतीहै।यहीनहीं, इनका निर्माण किसी भी विशेष परिस्थिति तथा विशेष कारण को ध्यान में रहते हुए किया जाताहै।इस दृष्टि से यह उद्देश्य लचीले, अनुकूल योग्य तथा परिवर्तनशील होते हैं दुसरे शब्दों में शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य देश, काल तथा परिस्थिति केअनुसार बदलते रहतेहैं।

  •          ज्ञानात्मक उद्देश्य
  •         बौधात्मक उद्देश्य
  •          कौशल उद्देश्य
  •          प्रयोगात्मक उद्देश्य
  •          विश्लेषण उद्देश्य
  •          संस्लेशन उद्देश्य

(B) सामान्य उद्देश्य :-

1. व्यक्तिगतउद्देश्य :- व्यक्ति वादियों के अनुसार समाज के अपेक्षा व्यक्ति बड़ा है अत: शिक्षा का वैयक्तिक उदेश्य व्यक्ति की व्यक्तिगत शक्तिओं को पूर्णरूप सेविकसित करने पर बल देता है।

प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री सर टी० पी० नन ने इस उदेश्य पर बल देते हुए लिखा है – “ संसार में जो भी अच्छाई आती है वह व्यक्तिगत पुरूषों तथा स्त्रियों के स्वतंत्र प्रयासों द्वारा आती है।शिक्षा की व्यवस्था इसी सत्य पर आधारित होनी चाहिये तथा शिक्षा को ऐसी दशायें उत्पन्न करनी चाहिये जो वैयक्तिकता का पूर्ण विकास हो सके तथा व्यक्ति मानव जीवन को अपना मौलिक योग दे सके

  • व्यक्तित्व विकास
  • शारीरिक विकास
  •  चरित्रका विकाश
  • आत्मनिर्भरताका विकास
  •  व्यावसायिक कुशलता का विकास
  • अनुभव का विकास
  • मूल्यों का विकास
  •  नेतृत्व का विकास
  •  भावात्मक विकास

2. सामाजिकउद्देश्य :- समाज वादियों के अनुसार व्यक्ति के अपेक्षा समाज बड़ा है। अत: वे शिक्षा सामाजिक उदेश्य पर विशेष बल देते हैं। उनका विश्वास है कि व्यक्ति सामाजिक प्राणी है। वह समाज से अलग रह कर अपना विकास नहीं कर सकता है। अत: उनके अनुसार व्यक्ति को अपनी वैयक्तिकता का विकास समाज की आवश्यकताओं तथा आदर्शों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिये।

           सामाजिक कौशल का विकास
आदर का विकास
 संस्कृति और सभ्यता विकास

3. राष्ट्रीय उद्देश्य

  •      आर्थिक विकास
  •         लोकतांत्रिक विकास
  •      कुशल मानव का निर्माण
  •      पर्यावरण संरक्षण विकस
  •      राष्ट्र के प्रति कर्तावनिष्ट
  •      देश भक्ति का विकास
  •          नवाचार तकनीकी और विज्ञान का विकास

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