भारतीय स्कूली शिक्षा- दूनिया की सबसे बड़ी व्यवस्था 15 लाख स्कूलों में 26 करोड़ छात्रों का भविष्य बना रहे हैं 96 लाख शिक्षक हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था विश्व में सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली मानी जाती है। इसमें 26 करोड़ से अधिक छात्र हैं। इन बच्चाें का भविष्य बनाने में देश के 15 लाख से अधिक स्कूलों में 96 लाख से अधिक शिक्षक जुटे हैं।
भारत में दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शिक्षा प्रणाली है। कुछ समय पहले जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यह बात कही थी, तो इसके पीछे पुख्ता आंकड़े भी पेश किए थे।
जैसे- शहरी क्षेत्रों में 2.49 लाख, जबकि गांवों में 12.58 लाख स्कूल हैं। इन स्कूलों में पढ़ रहे 26 करोड़ से अधिक छात्रों का भविष्य बनाने में 96 लाख से अधिक शिक्षक जुटे हैं। छात्रों का यह आंकड़ा कई बड़े देशों की आबादी से भी अधिक है।
इनमें महिला शिक्षकों की संख्या पुरुषों से अधिक है। महिला शिक्षक जहां 49.2 लाख हैं, तो पुरुष शिक्षकों की संख्या 47.71 लाख है। हालांकि दुनिया की शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता के मामले में भारत 33वें नंबर पर आता है।
यह रैंकिंग तीन मानकों के आधार पर दी जाती है-
- अच्छे तरीके से विकसित पब्लिक एजुकेशन सिस्टम,
- अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा और
- कितने लोग उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
इस आधार पर क्वालिटी इंडेक्स ( गुणवत्ता सूची ) में भारत को 2020 में 59.1 अंक प्राप्त हुए थे। जबकि अपॉर्च्युनिटी इंडेक्स में भारत को 48.21अंक मिले थे। लेकिन भारत एक बड़ी शिक्षा प्रणाली वाला देश है और इसकी अपनी चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी शिक्षण व्यवस्था में धीमी गति से ही सही पर सुधार हो रहा है। वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में स्कूली शिक्षा, छात्र शिक्षक अनुपात, लड़कियों के नामांकन के सभी स्तरों पर सुधार हुआ है। साथ ही बिजली, कंप्यूटर और इंटरनेट सुविधा वाले स्कूलों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। भारत में स्कूली शिक्षा के लिए वर्ष 2019-20 की संयुक्त जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE+) रिपोर्ट में यह बात की गई है। 2019-20 में पूर्व-प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक स्कूली शिक्षा में कुल छात्रों की संख्या 26.45 करोड़ के पार पहुंच गई। यह 2018-19 की तुलना में 42.3 लाख अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन अनुपात में सुधार हुआ है। सभी स्तरों पर छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में भी सुधार हुआ है।
भारतीय स्कू ली शिक्षा- दनिुनिया की सबसे बड़ी व्यवस्था
कुल शिक्षकों में महिलाएं 51 फीसदी दो साल में बढ़े ढाई लाख शिक्षक स्कूली शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात तो सुधर ही रहा है। पढ़ाने वाली महिला शिक्षक और पढ़ने वाली छात्राओ की संख्या भी सभी स्तरों पर सुधर रही है। देश में महिला शिक्षकों की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा बढ़ रही है। 2013 में देश में पुरुष शिक्षकों की संख्या अधिक थी, लेकिन अब महिला शिक्षकों की संख्या अधिक हो गई है।
महिला शिक्षक 47 लाख से बढ़कर 49 लाख हुईं
देश के स्कूलों में 2012-13 की तुलना में 2019-20 में शिक्षकाें की संख्या में अच्छी वृद्धि देखी गई है। अगर 2018 से ही तुलना करके देखी जाए तो तब देश में 94.3 लाख शिक्षक थे। 2019- 2020 तक आते-आते इस संख्या में 2.5 लाख की बढ़ाेतरी हुई।
दिलचस्प बात यह है कि देश में महिला शिक्षकों की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा बढ़ रही है। 2013 में देश में पुरुष शिक्षकों की संख्या अधिक थी, लेकिन अब महिला शिक्षकों की संख्या अधिक हो गई है। महिला शिक्षकों की हिस्सेदारी 47% से बढ़कर 51% हो गई है। 2012-13 में महिला शिक्षकों की संख्या 35.8 लाख थी, जो अब बढ़कर 49.2 लाख हो गई है। जबकि इस दौरान पुरुष शिक्षकों की संख्या 42.4 लाख से बढ़कर 47.7 लाख हो गई है।
बीते आठ सालों में छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार
छात्र-शिक्षक अनुपात में भी सुधार हुआ है। सुधार प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक सभी स्तरों पर हुआ है। उच्च माध्यमिक स्तर पर सुधार सबसे ज्यादा हुआ है। 2012-13 में 39.2 छात्रों पर एक शिक्षक था।
वर्ष 2019-20 में यह स्थिति सुधरकर 26.1 छात्र पर एक शिक्षक की आ गई है। प्राथमिक स्तर पर शिक्षक-छात्र अनुपात घटकर 26.5 पर आ गया है, जो 2012 में 34 के आंकड़े पर था। उच्च माध्यमिक स्तर पर छात्र शिक्षक अनुपात में सबसे कमजोर स्थिति ओडिशा में है। वहां हर एक शिक्षक पर 66.1 छात्र का बोझ है। इसके बाद बिहार का नंबर आता है, जहां एक शिक्षक पर 59.3 छात्रों का भार है। इसके उलट त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में प्रति शिक्षक 10 से कम छात्र हैं।
Refrence - निकोलस स्पार्क्स,अमेरिकी उपन्यासकार, पटकथा लेखक , दैनिक भास्कर न्यूज शिक्षक दिवस स्पेशल।, 05 सितम्बर 2021.
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