भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
(प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण)
निजता का अर्थ क्या है?
निजता का अर्थ है "लोगों के ध्यान से घुसपैठ या किसी के कृत्यों या निर्णयों में हस्तक्षेप से मुक्त होने की स्थिति या स्थिति।"
निजता के अधिकार का अर्थ है:
व्यक्तिगत स्वायत्तता का अधिकार।
किसी व्यक्ति और व्यक्ति की संपत्ति का अनुचित सार्वजनिक जांच या जोखिम से मुक्त होने का अधिकार।
जबकि निजता के आक्रमण का अर्थ है "किसी के व्यक्तित्व का अनुचित शोषण और किसी की व्यक्तिगत गतिविधियों में घुसपैठ।" निजता को "अकेले रहने के अधिकार" के पर्याय के रूप में भी माना जाता है।
अगस्त 2017 को भारत की माननीय सर्वोच्छ न्यायालय ने देश के लिए एक सबसे अहम फैसला लिए जिसमें निजी स्वतंत्रता के अधिकार को भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों की श्रेणी दी गयी। इस फैसले में सर्वोच्छ न्यायालय की 9 सदस्यीय बेंच ने एक साथ मिलकर अपना फैसला सुनाया, जिसमें चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस आर. के. अग्रवाल, जस्टिस आर. एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. सप्रे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एस. के. कौल, जस्टिस अब्दुल नजीर ये जज लोग शामिल थे।
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा था, कि निजता को मुख्य रूप से तीन जोन में बांटा जा सकता है। जिसमें पहला है, आंतरिक जोन, जिसके अंतर्गत शादी, बच्चे पैदा करना आदि मामले आते हैं। दूसरा है, प्राइवेट जोन, जहां हम अपनी निजता को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था से साझा नहीं करना चाहते, जैसे अगर बैंक में खाता खोलने के लिए हम अपना डेटा देते हैं, तो हम चाहते हैं, कि बैंक ने जिस उद्देश्य से हमारा डेटा लिया है, उसी उद्देश्य से तहत वह उसका इस्तेमाल करे, किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को वह डेटा न दे। वहीं, तीसरा होता है, पब्लिक जोन। इस दायरे में निजता का संरक्षण न्यूनतम होता है, लेकिन फिर भी एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक निजता बरकरार रहती है। वहीं, चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने टिप्पणी की थी, कि अगर किसी व्यक्ति से कोई ऐसा सवाल पूछा जाता है, जो उसके प्रतिष्ठा और मान - सम्मान को ठेस पहुंचाता है, तो वह निजता के मामले के अंतर्गत आता है। चीफ जस्टिस के मुताबिक, दरअसल स्वतंत्रता के अधिकार, मान - सम्मान के अधिकार और निजता के मामले को एक साथ कदम दर कदम देखना होगा। स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में मान - सम्मान का अधिकार आता है, और मान सम्मान के दायरे में निजता का मामला आता है।
क्या है निजी स्वतंत्रता का अधिकार?
निजी स्वतंत्रता या राईट टू प्राइवेसी का वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत किया गया है, जो कि भारत के नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करती है। इसके अंतर्गत भारत देश के किसी व्यक्ति को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं,
भारतीय संविधान के इस प्रावधान के अंतर्गत कोई व्यक्ति अपनी निजी जानकारी किसी भी समय किसी भी अथॉरिटी या किसी व्यक्ति से प्राप्त कर सकता है।
यदि किसी भी प्रकार के दस्तावेज में किसी व्यक्ति की निजी जानकारियों में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो गयी है, या कोई आवश्यक जानकारी छूट गयी है, तो वह व्यक्ति उस जानकारी को संशोधित करने के लिए आवेदन कर सकता है, और बिना किसी परेशानी के अपने दस्तावेजों को संसोधित करा सकता है।
बिना किसी क़ानूनी नोटिस या समन के जिसमे न्यायालय द्वारा किसी बड़े मुद्दे को हल करने के लिए अपनी कुछ निजी जानकारी साझा करने का आदेश हो सकता है, तो ऐसे आदेश के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति या संस्था के सामने अपनी निजी जानकारी व्यक्त न करने की स्वतंत्रता भी इस अधिकार के अंतर्गत देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त होती है।
इस निजी स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत किसी भी नागरिक को इस बात की स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है, कि केवल वह यदि चाहे तो ही केवल उसकी निजी जानकारी किसी अन्य व्यक्ति या संस्था के पास जाएगी अन्यथा नहीं जायेगी।
निजी स्वतंत्रता का अधिकार इस बात की भी स्वतंत्रता भी देता है, कि एक व्यक्ति यह स्वयं तय कर सकता है, कि क्या राज्य उस व्यक्ति की निजी ज़िन्दगी के विषय में जान सकता है, यदि वह व्यक्ति राज्य को इस बात की अनुमति प्रदान नहीं करता है, तो राज्य की कोई भी अथॉरिटी उस व्यक्ति को उसकी निजी जानकारी साझा करने के लिए बाधित नहीं कर सकती है, और यदि कोई व्यक्ति या संस्था उस व्यक्ति को उसकी निजी जानकारी साझा करने के लिए बाधित करती है, तो वह व्यक्ति बिना किसी परेशानी के सीधे माननीय सर्वोच्छ न्यायालय में अपने निजी स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए अपील कर सकता है, और जहां से उस व्यक्ति को इन्साफ मिलेगा।
इस अधिकार के अनुसार कोई व्यक्ति जो जानकारी केवल अपने तक ही सीमित रखना चाहता है, वह केवल उसके ही पास रहेगी, किसी और व्यक्ति या संस्था के पास उस व्यक्ति की उस जानकारी को जानने का किसी प्रकार का कोई हक नहीं होगा।
निजता और समाज के विभिन्न पहलुओं से इसका संबंध
निजता व्यक्तियों, समूहों या समाज के प्रति निर्देशित एक मूल्य है जिसका अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जो अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, इसमें सभी धर्मों, रीति-रिवाजों और पृष्ठभूमि के लोग हैं और इसलिए यह पता लगाना आसान है कि एक चीज का मतलब पूरे देश के लिए समान नहीं हो सकता है और ऐसा ही निजता की स्थिति है। निजता का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग चीजें हैं। कुछ के लिए यह सूचना की निजता है, दूसरों के लिए शरीर की निजता और कुछ के लिए इसका कुछ अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इसलिए निजता को समाज या देश के विभिन्न पहलुओं के साथ अलग-अलग पंक्तियों में पढ़ा जा सकता है जिस पर आगे चर्चा की गई है।
- निजता अधिकार सरकार को लोगों की जासूसी करने से रोकते हैं (बिना कारण के)।
- निजता अधिकार समूहों को अपने लक्ष्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने से रोकते हैं।
- निजता अधिकार यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि डेटा चोरी या दुरुपयोग करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाता है।
- निजता अधिकार सामाजिक सीमाओं को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- निजता अधिकार विश्वास बनाने में मदद करते हैं।
- निजता अधिकार सुनिश्चित करते हैं कि हमारे डेटा पर हमारा नियंत्रण रहे।
- निजता अधिकार भाषण और विचार की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।
- निजता अधिकार आपको राजनीति में स्वतंत्र रूप से शामिल होने देते हैं।
- निजता अधिकार प्रतिष्ठा की रक्षा करते हैं।
- निजता अधिकार आपके वित्त की रक्षा करते हैं
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय – समय पर अलग अलग मामलों में निर्वचन द्वारा बहुत से अधिकारों को अनुच्छेद 21 में अंतर्निहित माना है | जैसे :
- एकांतता का अधिकार
- विदेश यात्रा का अधिकार
- जीविकोपार्जन का अधिकार
- मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- आहार पाने का अधिकार
- स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार
- शीघ्र विचारण का अधिकार
- चिकित्सा सहायता पाने का अधिकार
- आश्रय का अधिकार
- सार्वजनिक धूम्रपान पर निषेध
- अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध संरक्षण
- चिकित्सा का अधिकार |
- शिक्षा का अधिकार |
- पर्यावरण संरक्षण का अधिकार |
- त्वरित विचारण का अधिकार |
- कामकाजी महिलाओं का यौन शोषण से संरक्षण का अधिकार |
- निशुल्क विधिक सहायता का अधिकार |
- लावारिस मृतकों का शिष्टता एवं शालीनता से दाह संस्कार का अधिकार |
- भिखारियों के पुनर्वास का अधिकार |
- धूम्रपान से संरक्षण का अधिकार |
- विद्यार्थियों का रैगिंग से संरक्षण का अधिकार |
- सौंदर्य प्रतियोगिताओं में नारी गरिमा को बनाए रखने का अधिकार |
- बिजली एवं पानी का अधिकार |
- हथकड़ी, बेडियों एवं एकांतवास से संरक्षण का अधिकार |
- प्रदूषण रहित जल एवं हवा का उपयोग करने का अधिकार |
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